पटना से रिपोर्ट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून-व्यवस्था में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए करीब 3 वर्ष पूर्व डायल 112 सेवा की शुरुआत की थी। इस व्यवस्था में पूर्व सैनिकों को मानदेय के आधार पर गाड़ी चालक के रूप में रखा गया। लेकिन अब यही चालक समान काम के बदले समान वेतन और ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए कर्मियों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं।
15 दिनों से आंदोलन जारी
सूत्रों के अनुसार, राज्यभर में डायल 112 के चालक पिछले 15 दिनों से आंदोलनरत हैं।
- कई जिलों में गाड़ियों को खड़ा कर सेवा ठप कर दी गई है।
- कुछ जगहों पर चालक काम के साथ-साथ विरोध भी दर्ज कर रहे हैं।
इससे त्वरित पुलिस सेवा पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
विधानसभा गेट पर अफरा-तफरी
आज इसी सिलसिले में आंदोलनकारी चालक बिहार विधानसभा मुख्य गेट तक पहुंच गए, जिससे अचानक अफरा-तफरी मच गई।
- विधानसभापर तैनात पुलिसकर्मियों ने किसी तरह आंदोलनकारियों को अंदर घुसने से रोका।
- हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने उन्हें रूट डायवर्ट कर वीरचंद पटेल पथ की ओर भेजा।
मांगें क्या हैं?
- समान काम के बदले समान वेतन।
- मानदेय की जगह स्थायी नियुक्ति।
- ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए चालकों के परिजनों को उचित मुआवजा।
सरकार की चुनौती
डायल 112 सेवा को कानून-व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। ऐसे में इस आंदोलन के चलते
- आपातकालीन सेवा पर संकट खड़ा हो सकता है।
- पुलिस मुख्यालय पर दबाव बढ़ रहा है कि वह जल्द कोई ठोस समाधान निकाले।

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