कुमुद रंजन सिंह
प्रयागराज: दूसरों के खिलाफ़ अतिक्रमण की शिकायत लेकर जनहित याचिका दाखिल करने वाला याची खुद ही जाल में फंस गया. कोर्ट के आदेश पर हुई जांच में याचिकाकर्ता स्वयं तालाब की भूमि पर अतिक्रमण का दोषी पाया गया. कोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई का निर्देश दिया बल्कि गलत रिपोर्ट देने वाले राजस्व अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जानकारी मांग ली है. प्रयागराज के हंडिया निवासी ओमराज ने की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने सुनवाई की.
ओमराज़ ने लालमणि पटेल के खिलाफ याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनका घर सरकारी जमीन पर बना है. ओमराज ने 2022 में तहसीलदार द्वारा दिए गए बेदखली के आदेश का पालन कराने की मांग की थी. लालमणि पटेल के वकील आशुतोष शुक्ला ने कोर्ट में बताया कि तहसीलदार का बेदखली आदेश गलत था. इस पर कोर्ट ने फिर से जांच के आदेश दिए. 21 अगस्त 2025 को तहसीलदार हंडिया ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया कि जब जमीन की दोबारा जांच की गई तो पता चला कि तालाब की जमीन पर लालमणि पटेल का नहीं है, बल्कि याचिकाकर्ता ओमराज का मकान बना है.
कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब लालमणि ने कोई अतिक्रमण नहीं किया था, तब भी उसके खिलाफ बेदखली का आदेश कैसे पारित किया गया. यह अधिकारियों की मनमानी को दर्शाता है. कोर्ट ने अतिक्रमण की गलत रिपोर्ट देने वाले लेखपाल दिलीप कुमार और राजस्व निरीक्षक गया प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अतिक्रमण को हटाने के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है.


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