मधुबनी। आगामी सोमवार, 06 अक्टूबर 2025 को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर कोजागरा पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व मां लक्ष्मी की विशेष आराधना का दिन माना जाता है। मान्यता है कि कोजागरा की रात को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है और मां लक्ष्मी इस दिन पृथ्वी पर आकर जागरण करने वालों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
परंपरागत विधि-विधान
इस अवसर पर लोग अपने घर-आंगन को सजाते हैं। संध्या के समय दरवाजे से आँगन तक अरिपन (अल्पना) बनाया जाता है। पिठार (चावल का घोल) से अष्टदल और कमल का चित्र बनाकर, उस पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा में लोटा में जल, आम के पल्लव, तांबे की सराय और चांदी का सिक्का रखा जाता है।
प्रसाद में अंकुरी, पान, मखाना, केला, मिठाई, मिश्री और नारियल का भोग अर्पित कर लोगों में बांटा जाता है।
नवविवाहित दंपत्ति के लिए विशेष रीति
मैथिल परंपरा के अनुसार, कोजागरा के दिन नवविवाहित दामाद को ससुराल से नए वस्त्र और सामग्री भेजी जाती है। शाम को आँगन में विशेष अरिपन, धान, दीपक और कलश की स्थापना होती है। दामाद को पान, धान और दूब से अंगोछा जाता है और दही से चुमावन (आशीर्वाद) की रस्म पूरी की जाती है। इस मौके पर उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और परिवारजन मिलकर मंगलकामना करते हैं।
धार्मिक महत्व
ब्राह्मण मंत्रोच्चार के साथ दुर्वाक्षत प्रदान करते हैं और घर-घर में पान-मखाना परोसने की परंपरा है। मान्यता है कि इस रात धरती दिव्य आभा से जगमगा उठती है और देवता भी पृथ्वी पर उतरकर इस अद्भुत दृश्य को देखने आते हैं।
संकलन कर्ता: सीता राम झा ने बताया कि मैथिल परंपरा के अनुसार इस दिन का विशेष महत्व है। कोजागरा का शाब्दिक अर्थ ही है – “को-जागरा” अर्थात “कौन जाग रहा है”। जो लोग इस रात जागरण कर मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं, उन्हें विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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