नई दिल्ली/पटना से रिपोर्ट
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने राजद को बड़ा झटका दिया है। मंगलवार को दिल्ली में राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया कि यदि बिहार में कांग्रेस को 70 सीटों से कम दी गईं, तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। इस अहम बैठक में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के साथ सांसद पप्पू यादव और कन्हैया कुमार भी मौजूद थे।
सीट शेयरिंग पर खींचतान
- राजद कांग्रेस को 50 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है।
- कांग्रेस का मानना है कि यह प्रस्ताव अस्वीकार्य है।
- इसी पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी अब “सहयोगी नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका” में दिखना चाहती है।
पप्पू यादव और कन्हैया पर दांव
बैठक में यह भी तय हुआ कि कांग्रेस बिहार में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को अहम भूमिका देगी।
- तेजस्वी यादव इन दोनों नेताओं को स्वीकार नहीं करना चाहते, लेकिन राहुल गांधी ने इसे खास महत्व दिया है।
- कांग्रेस का मानना है कि ये दोनों नेता तेजस्वी से कहीं अधिक जनाधार और स्वीकार्यता रखते हैं।
तेजस्वी पर सीधा वार
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि तेजस्वी यादव, अपने पिता लालू प्रसाद की तरह कांग्रेस को “महत्वहीन” समझते हैं।
- यदि कांग्रेस अलग लड़ी तो तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा रह जाएगा।
- विश्लेषकों का कहना है कि ऐसी स्थिति में राजद सिर्फ “यादव वोटों की पार्टी” बनकर रह जाएगी।
कांग्रेस का बढ़ता आत्मविश्वास
- वोटर अधिकार यात्रा से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा आई है।
- अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा और सवर्ण वोटर कांग्रेस के प्रति झुकाव दिखा रहे हैं।
- पुराने कांग्रेसियों का कहना है कि अब पार्टी को “राजद का पिछलग्गू” बनने की बजाय अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।
क्या होगा असर?
यदि कांग्रेस अलग लड़ती है तो:
- मिथिलांचल, सीमांचल और कोशी क्षेत्र में राजद का खाता खोलना मुश्किल हो सकता है।
- कांग्रेस हर सीट पर एनडीए को टक्कर देने की स्थिति में आ सकती है।
- पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की राजनीतिक प्रतिष्ठा और कद और मजबूत होंगे।

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